अब तक
आपने कोरोना वायरस के अफ्रीकन वैरियंट के बारे में सुना होगा. यूके वैरियंट के
बारे में सुना होगा. लेकिन अब अमेरिका की स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का
दावा है कि अमेरिका में कोविड-19 के इंडियन वैरियंट के केस मिल रहे हैं.
यानी कोरोना फैमिली का ऐसा वायरस, जिसका पहला केस भारत में डिटेक्ट हुआ
हो. इस वैरिएंट से संक्रमित एक केस का पता भी चला है. ये मरीज अमेरिका के कैलिफोर्निया
में है. सबसे खतरनाक बात ये है कि भारतीकोरोनावायरस स्ट्रेन या वैरिएंट डबल म्यूटेंट
है. यानी इसने अपना रूप दो बार बदला है. आइए जानते हैं कि भारतीय वैरिएंट कितना खतरनाक
है?
COVID-19 का 'इंडियन वैरियंट', जिसने अमेरिका तक हलचल मचा दी है? |
भारत में कोरोना के केस जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, उसे लेकर चिंता गहराने लगी है. 4 अप्रैल को पहली बार देश में एक दिन में एक लाख कोरोना केस मिले हैं. क्या इसके पीछे कोरोना वायरस का यही ‘इंडियन वैरियंट’ है? भारतीय कोरोनावायरस वैरिएंट डबल म्यूटेशन कर चुका है. यानी ये ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है. इस समय दुनिया में चार वैरिएंट पहले से मौजूद है. पहला वुहान कोरोनावायरस वैरिएंट यानी जिसने सबसे पहले लोगों को बीमार करना शुरू किया. इसी ने साल 2020 में महामारी का रूप लिया. इसके बाद आया ब्रिटेन का वैरिएंट (Britain Variant), फिर दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट. इसके बाद आया ब्राजील का वैरिएंट अब पांचवां आ गया है भारतीय कोरोनावायरस वैरिएंट. ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और ब्राजील के वैरिएंट्स को साइंटिस्ट खतरनाक और चिंता की वजह बता रहे थे
मार्च में आया डबल म्यूटेंट वायरस
ये सच है कि
भारत में कोविड का डबल म्यूटेंट वैरियंट फैल रहा है. डबल म्यूटेंट का मतलब लोग कोरोना वायरस के दो अलग-अलग वैरियंट (टाइप) से
संक्रमित हो रहे हैं, एकसाथ. इसे कोरोना का डबल इन्फेक्शन भी कहा
जा रहा है. मार्च के आखिरी दिनों में स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि 18 राज्यों में डबल
म्यूटेंट वैरियंट मिले हैं. कोरोना का ये रूप पहले के वायरसों के मुकाबले ज्यादा
खतरनाक है. यह शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र को धोखा देकर संक्रमण
को बढ़ा देता है. कोरोना के नए वैरियंट के अभी ज्यादा मामले नहीं मिले हैं. नया
म्यूटेशन करीब 15 से 20 फीसदी नमूनों
में ही पाया गया है. ये किसी भी पहले के वैरियंट से मेल नहीं खाता है.
क्या सचमुच ये इतना खतरनाक है?
इस वायरस के
सामने आने के बाद सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायलॉजी (CCMB) हैदराबाद के हेड राकेश मिश्रा ने कहा था कि ये नया डबल म्यूटेशन वायरस चिंता
का विषय है. ये काफी तेजी से फैल रहा है.
AIIMS के असोसिएट प्रोफेसर हर्षल साल्वे ने हालांकि कहा था कि इससे घबराने की बात नहीं है, क्योंकि ये एक
नेचुरल प्रोसेस है. हर वायरस अपना भेष बदलता है. उन्होंने ये भी कहा था कि मुमकिन
है कि नया वैरियंट, पुराने से कम ख़तरनाक हो.
कोरोना वायरस के
म्यूटेशन और इससे पनपने वाले ख़तरों पर दिसंबर-2020 में AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने तो यहां तक कहा था कि –
“कोरोना वायरस हर महीने औसतन दो बार म्यूटेशन कर रहा है. ये सामान्य है. इस पर
बेवजह का पैनिक करने की ज़रूरत नहीं है.”
Thanks sir your style of writing is very nice and use full information.
ReplyDeletebest and good information
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